Bhangarh Fort Story In Hindi

Bhangarh Fort Story In Hindi: कहा जाता है की राजस्थान एक ऐसी जगह है जहाँ कोई न कोई कहानी या राज दफ़न है और आज की यह कहानी राजस्थान के ऐसे ही एक किले की है।

आज यह कहानी एक ऐसे किले की है जिसको लेकर अनेक किस्से और कहानिया है और जब भी भारत की श्रापित और भूतिया जगह का जिक्र होता है तो इस किले का नाम सबसे पहले लिया जाता है।

Bhangarh Fort History In Hindi
Bhangarh Fort Story In Hindi

दिल्ली से लगभग 235 किलोमीटर दूर राजस्थान के अलवर जिले में तीन तरफ से अरावली की पहाड़ियों के बिच में एक किला है जिसका नाम है भानगढ़।

Bhangarh Story

भानगढ़ किले को वर्ष 1573 में आमेर के राजा भगवंत दास ने अपने छोटे बेटे माधो सिंह के लिए बनवाया था। जब यह किला बनकर तैयार हुआ तब यह बहुत ही आबाद और खुशहाल हुआ करता था और साथ ही उस वक़्त भानगढ़ में 9000 से भी ज्यादा घर हुआ करते थे।

लेकिन अचानक से क्या हुआ की एकदम से एक हस्ता खेलता शहर खण्डर में बदल गया और आज लोगो के बिच भानगढ़ किले का इतना खौफ है की लोग वहां दिन में भी जाने से कतराते है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग इस किले के देख रेख का काम करती है इस विभाग ने एक बोर्ड पर साफ़ साफ़ लिखवा रखा है की भानगढ़ की सीमा में सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद किले में प्रवेश वर्जित है।

मतलब आप दिन के उजाले में भानगढ़ के किले में जा सकते है लेकिन अँधेरा होने से पहले ही आपको वहां से बाहर निकलना पड़ेगा।

इस किले के खण्डार और भूतिया होने की वजह तो साफ़ तरीके से किसी को नहीं पता लेकिन इसको लेकर कहानिया बहोत है और उन कहानियो में दो ऐसी कहानिया है जिसपर लोग काफी भरोसा करते है और सुनते और सुनाते है।

Bhangarh Story In Hindi

इनमे से जो पहली कहानी है वो गुरु बालू नाथ से जुडी हुई है। कहा जाता है की जब आमेर के राजा भगवंत दास जब भानगढ़ किले को बनवा रहे थे तो वही बालू नाथ नाम के एक तपस्वी तपस्या कर रहे थे।

जब उन्हें पता चला की आमेर के राजा यहाँ एक भव्य किला बनवा रहे है तो तपस्वी बालू नाथ ने आमेर के राजा भगवंत दास के पास एक पैगाम भिजवाया और उन्हें अपने पास बुलवाया।

उसके बाद राजा भगवंत दास जब गुरु बालू नाथ के पास पहुंचे, तो उन्होंने राजा से कहा की आप जिस किले को बनवा रहे है उस से मुझे कोई आपत्ति है।

मगर एक बात का ध्यान रखना की इस किले की ऊंचाई इतनी मत कर देना की इसकी परछाई दिन के किसी भी वक़्त जहा मै तपस्या करता हु वहा तक पहुंचे और मुझे छुए।

उन दिनों जितने भी साधू संत और महात्मा हुआ करते थे सभी बहुत सिद्ध हुआ करते थे सभी साधुओ का बहुत आदर और सम्मान किया करते थे और उनकी कही किसी भी बात का अनादर नहीं किया जाता था।

इसलिए राजा भगवंत दास ने गुरु बालू नाथ की बात को सुनने के बाद ठीक वैसा ही किया और भानगढ़ किले की किसी भी भाग की उचाई इतनी नहीं की, की किले के किसी भाग की उचाई गुरु बालू नाथ तक पहुंच सके।

गुरु बालू नाथ की इस बात का ख्याल अगली 2 पीढ़ी तक तो रखा गया, मगर कहते है की जब तीसरी पीढ़ी ने भानगढ़ की गद्दी संभाली तो उन्होंने इस बात को सीरियस नहीं लिया और गुरु बालू नाथ की दी गयी चेतावनी को अनसुना कर दिया।

Bhangarh Fort Story In Hindi

इसके बाद उन्होंने इस किले की उचाई को और ऊँचा कर दिया जिसकी वजह से किले की परछाई गुरु बालू नाथ तक पहुंच गयी जब भानगढ़ किले की परछाई ने गुरु बालू नाथ को छुआ तो उन्हें बहुत गुस्सा आया और उसी वक़्त उन्होंने भानगढ़ के किले को श्राप दिया की भानगढ़ तबाह हो जायेगा।

कहा जाता है की गुरु बालू नाथ के इसी श्राप के बाद भानगढ़ पर मज़ूबत आ पड़ी और पूरा भानगढ़ तबाह हो गया।

इसके अलावा यह भी कहा जाता है की वर्ष 1783 में जो चालीसा आकाल आया था जिसमे मरने वालो का आकड़ा करोड़ो में था, वो आकाल गुरु बालू नाथ के श्राप की वजह से ही आया था।

Bhangarh
Bhangarh Fort Story In Hindi

जिसमे भानगढ़ समेत पूरे उत्तर भारत के करोड़ो लोगो को भूखा मरने पर मजबूर कर दिया था, बाद में ऐसा नहीं है की किसी ने वहां बसने की कोशिश नहीं की बल्कि कई लोगो ने भानगढ़ में बसना चाहा।

कई लोगो ने किले में नए मकान भी बनाने की भी कोशिश की लेकिन कहते है की जो भी वहां मकान बनाता है उसकी छत कभी नहीं बनती और हमेशा गिर जाती है और लोगो का मन्ना है और कई लोगो का मानना है की यह भानगढ़ के श्रापित होने के कारण है होता है।

दूसरी कहानी जिसपर लोग सबसे ज्यादा भरोसा करते है वो कहानी जुडी है एक राजकुमारी से।

कहते है एक वक़्त जब भानगढ़ बहुत ही आबाद और खुशहाल हुआ करता था तब इस किले के महल में एक राजकुमारी रहा करती थी जिनका नाम था रत्नावती।

राजकुमारी रत्नावती बेइंतहा खूबसूरत थी और उनकी खूबसूरती के चर्चे दूर दूर तक फैले थे जिसके कारण बड़े बड़े राजाओ के शादी के न्योते आते ही रहते थे।

Bhangarh Fort History In Hindi

लेकिन इन राजाओ के अलावा एक और शक्स जो राजकुमारी रत्नावती का दीवाना था उसका नाम था सिंघिया।

सिंघिया एक तांत्रिक था और जबसे उसने राजकुमारी रत्नावती को देखा तभी से वह राजकुमारी रत्नावती पर फ़िदा हो गया था। और किसी तरह वह राजकुमारी रत्नावती को पाना चाहता था।

लेकिन उसे पता था की वह किसी भी सीधे तरीके से राजकुमारी रत्नावती को नहीं पा सकता था क्युकी कहाँ वो शमसान में रहने वाला एक तांत्रिक और कहाँ वो महलो में रहने वाली राजकुमारी।

इसलिए उसने राजकुमारी रत्नावती को पाने के  लिए एक दूसरा तरीका ढूंढ निकाला और अब बस वो सही मौके की तलाश में था।

आखिर में एक दिन उसे एक मौका मिल ही गया हुआ ये की राजकुमारी की एक दासी भानगढ़ के बाजार में आयी दरअसल को राजकुमारी के लिए बालो में लगाने वाला एक तेल लेने आई थी तांत्रिक सिंघिया को एक ऐसे ही मौके की तलाश थी।

जब वो दासी राजकुमारी के लिए तेल खरीदकर वापस जाने लगी तो तांत्रिक सिंघिया ने उस दासी को किसी बहाने से रोक लिया।

और देखा जाए तो सिंघिया तंत्र मंत्र की विद्या में माहिर था इसलिए दासी ने जो तेल राजकुमारी रत्नावती के लिए ख़रीदा ऊपर सिंघिया ने चुपके से काला जादू कर दिया।

उसके बाद जब वो दासी तेल लेकर राजकुमारी रत्नावती के पास पहुंची और जब वो तेल राजकुमारी को दिया तो उस तेल को देखने के बाद राजकुमारी को कुछ शक हुआ।

कहा जाता है की राजकुमारी रत्नावती भी काफी ज्यादा सिद्ध थी इसीलिए तेल को देखते ही राजकुमारी को पता चल गया की इस तेल पर किसी ने तंत्र मंत्र का इस्तेमाल किया है।

Bhangarh Fort Ghost Stories

फिर जब राजकुमारी ने अपनी दासी से पूछा की बाजार में तुम्हे कोई मिला था क्या, तो उसने तांत्रिक सिंघिया के बारे में बताया। सिंघिया का नाम सुनते ही राजकुमारी को सारा माजरा समझ में आ गया।

और तभी राजकुमारी ने उस तेल को एक पत्थर पर फ़ेंक कर तोड़ दिया और सारा तेल उस पत्थर पर बिखर गया।

दरअसल तांत्रिक सिंघिया ने उस तेल पर ऐसा काला जादू किया था की जो भी उस तेल को लगाता वो उस तांत्रिक के वश में हो जाता और खुद व खुद उसके पास आ जाता।

परन्तु शक के कारण उस तेल का इस्तेमाल राजकुमारी ने नहीं किया इसलिए राजकुमारी तो बच गयी मगर जिस पत्थर पर वो तेल बिखरा उस पत्थर पर वो सारा जादू टोना समा गया।

जिसके कारण वो पत्थर खुद व खुद तांत्रिक सिंघिया की तरफ बढ़ने लगा तांत्रिक ने जब देखा एक बड़ा सा पत्थर उसकी तरफ तेजी से बढ़ रहा है तो उसे साड़ी बात समझने में देरी नहीं लगी।

मगर इससे पहले वो कुछ करता, वो पत्थर  पर बढ़ गया और क्युकी वो पत्थर बहुत बड़ा था, इसलिए अब उस तांत्रिक का जिन्दा बच पाना काफी ज्यादा मुश्किल था।

Bhangarh
Bhangarh Fort Story In Hindi

लेकिन मरते मरते तांत्रिक ने एक श्राप दिया और कहा की राजकुमारी रत्नावती सहित भानगढ़ के सभी लोग मारे जायँगे और उनकी आत्माये हमेशा भानगढ़ के किले में भटकती रहेगी।

ये श्राप देने के बाद तांत्रिक सिंघिया तो मर गया और कहते है तांत्रिक के मरने के कुछ वक़्त बाद ही भानगढ़ और उसके पास के एक और राज्य अजबगढ़ के बिच महायुद्ध हुआ जिसमे पूरा भानगढ़ तबाह हो गया।

इस युद्ध में अजबगढ़ की सेना पूरे भानगढ़ में काफी ज्यादा कहर ढाती है जिसमे रानी रत्नावती सहित भानगढ़ के बहोत सारे लोग मारे जाते है।

Bhangarh Fort Horror Story

हलाकि इतिहास में कही भी भानगढ़ और अजबगढ़ के बिच हुए युद्ध का कोई जिक्र नहीं है, पर सदियों से यही कहानी सुनी और सुनाई जाती है।

कहा जाता है की इस युद्ध के बाद भानगढ़ का किला कभी आबाद नहीं हो पाया और न ही उसके बाद कोई यहाँ बस पाया।

वक़्त बीतने के साथ साथ भानगढ़ और वीरान होता चला गया और आज भूतो का गढ़ बन चूका है। कहा जाता है की युग में मारे गए सभी लोगो की आत्माये आज भी भानगढ़ में मौजूद है।

भानगढ़ में आज भी रोज रात को बाजार सजता है खण्डार हुई इमारते फिर से खड़ी हो जाती है अंदर आज भी राजा का दरबार लगता है और राजा आज भी फैशला सुनाता है।

भानगढ़ के लोकल निवासियों का कहना है की उन्हें रात को अंदर से चीखने की आवाज सुनाई देती है कभी हसने की आवाज आती है तो कही घुंघरुओं के बजने की आवाज आती है।

वो यह भी बताते है की भानगढ़ के किले में आजतक जो भी रात के समय गया वो फिर कभी जिन्दा लौट कर नहीं आया और अगर कोई जिन्दा वापस आ भी गया तो उसकी दिमागी हालत खराब हो जाती है या फिर किसी दुर्घटना में मौत हो जाती है।

इसके अलावा एक और चीज जो इस किले के बारे में मशहूर है वो यह की जब भानगढ़ और अजबगढ़ के बिच युद्ध हुआ तो उस वक़्त बहोत सारा खजाना भानगढ़ के किले में छिपाया गया था ताकि बाद में जब भी मौका मिले उसे वहां से निकाला जा सके।

पर इसी खजाने को आम लोगो से बचाने  के लिए यह अफवाह फैलाई गयी की भानगढ़ के किले में आत्माओ का वास है।

Bhangarh Fort Haunted Story

पर क्युकी भानगढ़ और अजबगढ़ के बिच हुए युद्ध का कोई इतिहास है ही नहीं इसलिए वहा किसी खजाने के छिपे होने की बात में भी कितनी सच्चाई है उस पर भी सवाल खड़े होते है।

हर किले का शुरू से लेकर अंत तक अपना एक इतिहास होता है भानगढ़ का किला कब और किसने बनवाया इसका तो इतिहास है लेकिन यह तबाह कैसे हुआ इसका कोई इतिहास नहीं है और यही बात भानगढ़ के किले को और अधिक रहस्मय बनाती है।

Bhangarh Fort Haunted Story
Bhangarh Fort Story In Hindi

दिन में समय भानगढ़ में घूमने गए कई लोग यह बताते है की उन्हें ऐसा लगता है जैसे उनका कोई पीछा कर रहा हो ऐसा लगता है जैसे वहां कोई न दिखाई देने वाली शक्ति हो।

भानगढ़ में जो नृतकों की हवेली है उसमे से किसी को घुंगरू की आवाजे आती है किसी को लगता है की कोई उनका गाला दबा रहा हो तो कोई कहता है की जब वे राजकुमारी के कमरे में गए तो उन्हें कोई थप्पड़ मरता है।

इन खबरों के आने के बाद तब से लेकर अब तक कई न्यूज़ चैनल की टीम और paranormal society of india की टीम रात के वक़्त भानगढ़ में जाकर वह की जांच पड़ताल कर चुके है।

यह सभी लोग अपने साथ भूत प्रेत की जांच पड़ताल करने वाला यंत्र भी अपने साथ लेकर भी गए उनकी रिपोर्ट में उन्हें भानगढ़ में नेगेटिव एनर्जी तो मिली लेकिन वहां आत्मा का वास है या नहीं इसका कोई सबूत नहीं है। और न ही रात के समय उन्हें सजे हुए दरबार दिखे और न ही कोई राजा का दरबार।

Bhangarh Story In Hindi

उनके हिसाब से लोगो की फैलाई हुई अफवाह के कारण ही लोगो को भ्रम होता है की वहां कोई मौजूद है और अलग अलग चीजे महसूस होती है या अलग अलग चीजों की आवाज सुनाई देती है।

देखा जाये तो लोग आज भी भानगढ़ के किले के कहानियो और किस्सों को सच मानते है और लोगो के हिसाब से आज भी भानगढ़ में भूतो का वास है कूल मिलकर आज भी यह किसी को नहीं पता की 300 साल पहले भानगढ़ में ऐसा क्या हुआ था की वो ऐसा वीरान और खंडर बन गया साथ ही पूरे भारत की सबसे डरावनी और भूतिया जगह कहलाने लगा।

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