Karva Chauth Ka Vrat Kab Hai: कार्तिक मास की शुरुआत होते ही त्योहारों का मौसम शुरू हो जाता है, कार्तिक मास की हर तिथि का महत्व है और चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व है क्युकी इस दिन करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है।
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाने वाला करवा चौथ का पर्व महिलाओ के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है इस दिन महिलाये अपने पति की लम्बी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती है और रात को चंद्र उदय के बाद व्रत खोलती है।
पूरे साल महिलाओ को इस व्रत का बेसब्री से इंतजार रहता है इस व्रत की शुरुवात ब्रम्ह मुहूर्त में यानी सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करके किया जाता है और सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखा जाता है।
चंद्रमा के निकलने से एक घंटे पहले पूरे शिव परिवार की पूजा की जाती है और चाँद निकलने के बाद चंद्रमा को अरग देकर पति द्वारा जल ग्रहण कर व्रत खोला जाता है।
कुछ विशेष बातो का ध्यान रखना चाहिए जैसे करवा चौथ के दिन कुछ भी काटना या सिलना नहीं चाहिए इसलिए इस दिन आप सिलाई का जुड़ाई का काम न करे इसके बाद करवा चौथ के दिन नहाने के बाद आप कोई भी असुद्ध कार्य न करे जैसे कपडे धोना या झूठे बर्तन धोना आदि लेकिन इसके अलावा आप भोजन बना सकती है भोजन बनाना असुद्ध कार्यो की श्रेणी में नहीं आता है।
करवा चौथ पर क्या नहीं खाना चाहिए
करवा चौथ पर नमक का सेवन नहीं करना चाहिए अपना व्रत आप कुछ भी मीठा खा कर खोल सकती है पर इस दिन नमक नहीं खाना चाहिए साथ ही इस दिन आपको सुहाग से जुडी सभी चीजे पहननी चाहिए जैसे मांग में सिंदूर टिका काजल गले में मंगल सूत्र पैरो में पायल बिछिया और मेहँदी ये सभी सुबह सगुन का प्रतिक माने जाते है इसलिए पूजा के समय आपको यह सभी अवश्य पहनना चाहिए।
Karwa Chauth Pooja Vidhi In Hindi
इसके अलावा भी कई प्रश्न है जो आपके मन में करवा चौथ को लेकर होंगे जिनमे से कई प्रश्नो के उत्तर आपको इस आर्टिकल के अंत में मिल जायँगे।
करवा चौथ का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि :-
Karva Chauth Ka Vrat Kab Hai: करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया है और चतुर्थी तिथि का प्रारम्भ 13 अक्टूबर 2022 को सुबह 01:59AM से होगा और चतुर्थी तिथि का समापन 14 अक्टूबर 2022 को सुबह 03:08AM पर होगा, अक्टूबर में करवा चौथ कितनी तारीख को है? आपको बतादू करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर को ही रखा जायेगा।
दिल्ली
- करवा चौथ पूजा मुहूर्त : शाम 05:54PM से 07:09PM
- करवा चौथ व्रत का समय : सुबह 06:20AM से 08:09PM
- करवा चौथ के दिन चंद्रोदय : रात 08:09 PM पर होगा
वाराणसी
पूजा मुहूर्त | व्रत का समय | चंद्रोदय |
शाम 05:33PM से 06:47PM | सुबह 05:55AM से 07:53PM | रात 07:53 PM पर होगा |
जयपुर, राजस्थान
पूजा मुहूर्त | व्रत का समय | चंद्रोदय |
शाम 06:01PM से 07:15PM | सुबह 06:25AM से 08:19PM | रात 08:19 PM पर होगा |
शिमला हिमाचल प्रदेश
पूजा मुहूर्त | व्रत का समय | चंद्रोदय |
शाम 05:52PM से 07:07PM | सुबह 06:22AM से 08:04PM | रात 08:04 PM पर होगा |
रांची, झारखंड
पूजा मुहूर्त | व्रत का समय | चंद्रोदय |
शाम 05:25PM से 06:39PM | सुबह 05:45AM से 07:48PM | रात 07:48 PM पर होगा |
देहरादून, उत्तराखंड
पूजा मुहूर्त | व्रत का समय | चंद्रोदय |
शाम 05:49PM से 07:04PM | सुबह 06:18AM से 08:02PM | रात 08:02 PM पर होगा |
चंडीगढ़
पूजा मुहूर्त | व्रत का समय | चंद्रोदय |
शाम 05:54PM से 07:09PM | सुबह 06:24AM से 08:06PM | रात 08:06 PM पर होगा |
जम्मू
पूजा मुहूर्त | व्रत का समय | चंद्रोदय |
शाम 06:00PM से 07:16PM | सुबह 06:33AM से 08:09PM | रात 08:09 PM पर होगा |
गांधीनगर, गुजरात
पूजा मुहूर्त | व्रत का समय | चंद्रोदय |
शाम 06:15PM से 07:30PM | सुबह 06:35AM से 08:40PM | रात 08:40 PM पर होगा |
भोपाल, मध्य प्रदेश
- करवा चौथ पूजा मुहूर्त : शाम 05:57PM से 07:11PM
- करवा चौथ व्रत का समय : सुबह 06:16AM से 08:21PM
- करवा चौथ के दिन चंद्रोदय : रात 08:21 PM पर होगा
करवा चौथ में पानी पी सकते है क्या?
सुबह करवा चौथ के दिन स्नान आदि करके पूजा और घर की साफ़ सफाई करे फिर सास द्वारा दिया भोजन करे और भगवान् की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प ले, यह व्रत चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही खोलना चाहिए और व्रत के दौरान जल भी नहीं पीना चाहिए।
संध्या के समय एक मिटटी की वेदी पर सभी भगवान् की स्थापना करे इसमें 10 या 13 करवे रखे पूजन सामग्री में धुप, दीप, चंदन, रोली और सिंदूर आदि रखे।
दीपक में पर्याप्त मात्रा में घी रखना चाहिए जिससे वह पूरे समय तक जलता रहे चंद्रमा निकलने से लगभग एक घंटे पहले पूजा शुरू की जानी चाहिए अच्छा होता है की परिवार की सभी महिलाये साथ में मिलकर पूजा करे करवा चौथ के व्रत के दौरान करवा चौथ की व्रत कथा अवश्य सुन्ना चाहिए, कथा के बिना व्रत अपूर्ण माना जाता है। इसलिए कथा अवश्य सुन्ना चाहिए।
करवा चौथ के दिन चंद्रमा को अरग कैसे दिया जाता है?
इसके बाद चंद्र दर्शन छलनी के द्वारा किया जाना चाहिए और साथ ही अग्नि के साथ चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए चंद्र दर्शन के बाद बहु अपनी सास को थाली में सजाकर मिष्ठान, फल, मेवे और रूपए आदि देकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए और सास अपनी बहु को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दे।
करवा चौथ से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल :-
1) क्या पीरियड्स के दौरान करवा चौथ का व्रत कर सकते है?
इसका जवाब है है आप पीरियड्स के दौरान करवा चौथ का व्रत रख सकती है परन्तु पीरियड्स के दौरान किसी भी धार्मिक सामान को नहीं छूना चाहिए।
2) क्या पुरानी छलनी का इस्तेमाल कर सकते है या नहीं ?
आप चंद्रमा को अर्ग देने के लिए आप पुरानी छलनी का इस्तेमाल कर सकती है बस वह साफ़ व धुली हुई होनी चाहिए।
3) करवा चौथ पर सास बहु को क्या देती है ?
करवा चौथ पर सास अपनी बहु को सूर्योदय से पहले सरगी देती है इस सरगी की थाल में मिठाई, मठरी, मेवे, फल, कपडे, गहने, पूरी और सेवई होती है।
4) करवा चौथ पर सास को क्या दे ?
करवा चौथ पर महिलाये व्रत खोलने के बाद अपनी सास को करवा, मीठे पकवान, कपडे व सुहाग से जुड़े चीजे देती है। जिसे बायना भी कहा जाता है।
5) अगर सास नहीं है तो बायना किसे दे?
ऐसे में आप अपने से बड़ी किसी स्त्री को बायना दे सकते है जिन्हे आप सास के सामान मानती है या किसी ब्राह्मण की पत्नी या ब्राह्मण को भी दे सकती है।
6) करवा चौथ की रात पति पत्नी क्या करते है?
करवा चौथ के दिन पत्नी पूरे दिन व्रत रखने के बाद शाम को चंद्रमा के दर्शन कर अर्ग अर्पित करती है इसके बाद पति करवा से पत्नी को पानी पिलाते है और फिर कुछ मीठा खिलाकर पत्नी को आशीर्वाद देकर उनका व्रत तोड़ते है।
करवा चौथ का व्रत कैसे किया जाता है
7) क्या करवा चौथ का व्रत बिच में छोड़कर फिर से अपनाया जा सकता है?
करवा चौथ का व्रत बिना खास वजह से छोड़ना या तोडना अशुभ माना जाता है हर सुहागिन महिला को कोशिश करना चाहिए वह किसी भी हालत में इस व्रत को पूरा करे पर कई बार परिस्थितिया एक जैसी नहीं होती है पर किसी कारण किसी वर्ष यथ किसी कारण छूट जाता है तो अगले वर्ष भगवान् से छमा मांगकर व्रत को पूर्णतः फिर से शुरू करे, फिर उस व्रत का फल आपकी श्रद्धा और प्राथना पर निर्भर करता है।
8) घर में यदि किसी की मृत्यु हो जाये या किसी का जन्म हो जाये तब क्या व्रत को किया जा सकता है?
तो जैसा की मैंने पहले बताया व्रत को करने के नियम काफी कठिन होते है हिंदी धर्म में यह मान्यता है की घर में अगर किसी बच्चे का जन्म होता है या किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाये तब उस घर में सूतक लग जाता है यानि कुछ दिनों तक घर में पूजा पाठ से सम्बंधित कार्य नहीं किया जाता है लेकिन इस परिस्थिति में भी आपको व्रत को करना ही है, हा आप पूजा पाठ को छोड़कर व्रत के बाकी नियम का भी पालन कर सकते है।
9) करवा चौथ का व्रत कितने साल करने के बाद छोड़ सकते है?
जैसा की हम सभी जानते है हर व्रत को उसके उद्यापन के बाद समाप्त किया जा सकता है पर करवा चौथ का व्रत महिलाये उद्यापन के बाद भी कर सकती है और इसे किया जाना भी सही माना गया है पर अगर शरीर साथ न दे तो आप कम से कम 12 या 16 तक करवा चौथ का व्रत जरूर करे उसके बाद आप उद्यापन कर व्रत को छोड़ सकते है।
सरगी में सास को क्या देना है
आखिरी सवाल अगर करवा चौथ का व्रत बिच में छूट जाये या आप व्रत करने की स्तिथि में न हो तो क्या करे तो आपको बतादु करवा चौथ के व्रत नियम बेहत कठिन माने जाते है इस व्रत को बिच में छोड़ा या बंद नहीं किया जा सकता है।
लेकिन यदि आप गर्भवती है या बीमार है या फिर आपका शरीर साथ नहीं दे रहा है तब उस परिस्थिति में आपका भूखा या प्यासा रहना सही नहीं है आप खुदको या अपने बच्चे दोनों को निकसान पंहुचा सकते है।
ऐसी परिस्थिति में पति को निर्जला व्रत करना चाहिए और शाम के समय पत्नी के हाथो भगवान् की पूजा करवा सकते है या शाम के समय पत्नी के हाथो पूजा की थाली को स्पर्श करवाके खुद पूजा कर सकते है।
लेकिन अगर आप बीमार है तब भी आप इस व्रत को करना चाहती है तब आप फल का सेवन करके भी इस व्रत को पूर्ण कर सकती है तब भी यह व्रत आपके लिए निर्जला व्रत ही माना जायेगा इस बात का ध्यान रखे अगर आप बीमार है तभी आप फल का सेवन करके इस व्रत को करे अगर आप बीमार नहीं है आपका शरीर आपका साथ दे रहा है तब आप निर्जला व्रत ही करंगे।
उम्मीद है आपको करवा चौथ से जुडी यह जानकारी अच्छी लगी होगी आपके मन में अभी भी कोई सवाल है तो आप कमेंट करके अपने सवाल पूछ सकते है इस आर्टिकल को अधिक अधिक शेयर करे आपका बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद।